आईआईटीएम में ज्ञान का महाकुंभ, देशभर के शोधार्थियों ने रखे नए आयाम

आईआईटीएम ने आईसीएसएसआर के सहयोग से मीडिया, प्रबंधन और तकनीक के संगम पर आधारित दो दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस का सफल आयोजन किया। देशभर के शोधार्थियों, प्रोफेसरों और विशेषज्ञों ने विकसित भारत 2047, नवाचार, स्टार्टअप, शिक्षा नीति, सतत विकास और सामाजिक परिवर्तन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर अपने विचार साझा किए।

आईआईटीएम में उभरी नई सोच
विकसित भारत 2047 की ओर बढ़ता कदम
locationभारत
userअसमीना
calendar18 Nov 2025 02:15 PM
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भारत 2047 के सपनों की दिशा में देश लगातार आगे बढ़ रहा है। इसी सोच को आगे ले जाते हुए इंस्टीट्यूट ऑफ इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट (IITM) ने इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च (ICSSR) के सहयोग से 13–14 नवंबर 2025 को एक शानदार दो दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। इस कॉन्फ्रेंस का विषय था, “Synergizing Media, Management and Technology: Driving Integrity, Innovation and Entrepreneurship for Viksit Bharat @ 2047”। दो दिनों तक चले इस ज्ञान–उत्सव में देशभर से आए शोधकर्ताओं, प्रोफेसरों और विषय विशेषज्ञों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और नई सोच, नए विचार तथा विकसित भारत के भविष्य पर सार्थक चर्चा की।

कैसे हुई कॉन्फ्रेंस की शुरुआत?

कॉन्फ्रेंस की शुरुआत IITM के सभागार में दीप प्रज्वलन के साथ हुई। निदेशक प्रो. (डॉ.) रचिता राणा, मुख्य अतिथि प्रो. (डॉ.) के.जी. सुरेश, प्रो. (डॉ.) बंदना झा, प्रो. (डॉ.) ए.के. सैनी, और कॉन्फ्रेंस संयोजक प्रो. (डॉ.) विकास भरारा एवं प्रो. (डॉ.) गोपाल सिंह लटवाल ने मंच की शोभा बढ़ाई। निदेशक प्रो. रचिता राणा ने अपने संबोधन में भारत के लोकतंत्र के चार स्तंभों पर बात करते हुए मीडिया की अहम भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि विकसित भारत के लिए तकनीक, समावेशी सोच और सतत विकास को अपनाना जरूरी है।

विकसित भारत 2047

कॉन्फ्रेंस संयोजक प्रो. (डॉ.) विकास भरारा ने गांधी जी के प्रसिद्ध वाक्य “आप खुद वो बदलाव बनो जो दुनिया में देखना चाहते हैं” से अपनी बात शुरू की। उन्होंने बताया कि स्टार्टअप्स, नवाचार और नई पीढ़ी की ऊर्जा भारत के विकास की रीढ़ हैं। प्रो. बंदना झा ने कहा कि विकसित भारत के लिए हर नागरिक, हर क्षेत्र और हर समुदाय की भागीदारी जरूरी है। उन्होंने उत्तर-पूर्व और जनजातीय भाषाओं के संरक्षण पर भी विशेष बल दिया।

बदलते भारत की तस्वीर

प्रो. (डॉ.) के.जी. सुरेश ने कहा कि विकसित भारत सिर्फ उद्योगों में तरक्की नहीं बल्कि सर्वांगीण विकास का प्रतीक है। उन्होंने सामाजिक सुरक्षा, शिक्षा नीति और समाज में आए सकारात्मक बदलावों पर चर्चा की। प्रो. (डॉ.) ए.के. सैनी ने अखंडता और मूल्य-आधारित समाज को विकसित भारत की असली आवश्यकता बताया। उन्होंने कहा कि मशीनें सब कुछ नहीं दे सकतीं लेकिन मानवीय गुण समाज को बेहतर बनाते हैं।

शोध, विचार और नए समाधान

कॉन्फ्रेंस में कुल चार तकनीकी सत्र आयोजित हुए जिनमें देशभर से आए शोधार्थियों ने ऑनलाइन और ऑफलाइन तरीके से अपने शोध प्रस्तुत किए।

पहले दिन दो और दूसरे दिन दो सत्र हुए जहां मीडिया, तकनीक, प्रबंधन, नवाचार, उद्यमिता और सामाजिक बदलाव जैसे विषयों पर गहन चर्चा हुई।

समापन से पहले नए विचारों की उड़ान

मुख्य अतिथि प्रो. (डॉ.) दुर्गेश त्रिपाठी ने मीडिया, मैनेजमेंट और टेक्नोलॉजी के बीच “कोलैबोरेटिव इंटेलिजेंस” की जरूरत पर बात की। उन्होंने कहा कि जेन Z और जेन अल्फा को सही दिशा देना समय की मांग है। ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी से आए प्रो. (डॉ.) सचिन कुमार मंगला ने सतत विकास, नवाचार और पर्यावरण-अनुकूल प्रगति को देश के भविष्य के लिए आवश्यक बताया।

विकसित भारत @ 2047: दस बिंदुओं पर नई सोच

प्रो. (डॉ.) के. श्रीनिवास ने विकसित भारत के दस प्रमुख स्तंभों, सत्यनिष्ठा, रणनीतिक प्रबंधन, सुशासन, भविष्य-उन्मुख स्किल्स, नैतिक तकनीक और नवाचार संस्कृति पर अपने विचार रखे। इन विचारों ने युवाओं और शोधार्थियों को आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। कॉन्फ्रेंस के अंत में बेस्ट पेपर प्रेजेंटर को सम्मानित किया गया। आयोजन समितियों के सभी सदस्यों और स्टूडेंट वॉलंटियर्स को ‘टोकन ऑफ एप्रिसिएशन’ और सर्टिफिकेट देकर प्रोत्साहित किया गया। ICSSR के पूर्व निदेशक मि. आर.के. गुप्ता ने देश के गौरवशाली इतिहास पर प्रकाश डाला और शोध संस्कृति को आगे बढ़ाने की आवश्यकता बताई।

कड़ी मेहनत और टीमवर्क से बनी सफल कहानी

इस कॉन्फ्रेंस की सफलता के पीछे कई टीमों की मेहनत थी फाइनेंस, पब्लिकेशन, मैनेजमेंट, रिसेप्शन, टेक्निकल, मीडिया कवरेज, हॉस्पिटैलिटी, ट्रांसपोर्ट, डेकोरेशन, सर्टिफिकेट, सोशल मीडिया और फोटोग्राफी सभी ने अपनी–अपनी जिम्मेदारियां बेहतरीन ढंग से निभाईं। IITM के विद्यार्थियों ने भी पूरे इवेंट को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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दिल्ली धमाके से पहले क्या सोच रहा था उमर? वायरल वीडियो में बड़ा खुलासा

दिल्ली में लाल किला मेट्रो स्टेशन के बाहर हुए ब्लास्ट से जुड़े आतंकी मोहम्मद उमर नबी का नया वीडियो सामने आया है, जिसमें वह फर्राटेदार अंग्रेजी में सुसाइड बॉम्बिंग को जायज ठहराने की कोशिश करता दिख रहा है। धमाके में 15 लोगों की मौत हो चुकी है और जांच एजेंसियों ने...

डॉ. उमर का वीडियो वायरल
दिल्ली धमाका केस में बड़ा खुलासा
locationभारत
userअसमीना
calendar18 Nov 2025 03:50 PM
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दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के बाहर हुए दिल दहला देने वाले धमाके ने पूरे देश को हिला दिया था। अब इस घटना से जुड़ा एक नया वीडियो सामने आया है जिसमें आतंकी मोहम्मद उमर नबी कैमरे के सामने बैठकर अंग्रेजी में सुसाइड बॉम्बिंग को सही ठहराने की कोशिश करता दिख रहा है। वायरल हो रही इस वीडियो ने जांच एजेंसियों को एक नई दिशा दे दी है और यह समझने में भी मदद कर रहा है कि आखिर उमर किस मानसिक स्थिति से गुजर रहा था।

इंटरनेट पर वायरल हुआ उमर का वीडियो

नए वीडियो में उमर नबी एक छोटे से कमरे में अकेले बैठा हुआ नजर आ रहा है। वह कैमरे के सामने बेहद शांत और आत्मविश्वास भरे अंदाज में बात कर रहा है। हैरानी की बात ये है कि उसकी अंग्रेजी काफी साफ और धारा-प्रवाह है। वीडियो में उमर सुसाइड बॉम्बिंग को गलत समझे जाने वाला कॉन्सेप्ट बताता है। वह कहता है कि लोग असल में यह समझ ही नहीं पाते कि आत्मघाती हमले का मतलब क्या है। वह कहता है, “सबसे बड़ी गलती यही है कि लोग यह नहीं समझते कि सुसाइड बमिंग का असली विचार क्या है। इसके खिलाफ कई विरोधाभास और तर्क हैं।”

और क्या कहा आतंकवादी उमर ने?

आगे उमर यह भी दावा करता है कि जब कोई व्यक्ति यह सोच लेता है कि उसकी मौत तय है तो वह एक खतरनाक मानसिक अवस्था में पहुंच जाता है। वह कहता है, “ऐसी सोच किसी भी लोकतांत्रिक या इंसानी व्यवस्था में स्वीकार नहीं की जा सकती, क्योंकि ये समाज और कानून के बेसिक सिद्धांतों के खिलाफ है।” वीडियो यहीं खत्म हो जाता है, जिससे यह साफ नहीं हो पाता कि सुसाइड बॉम्बिंग पर उसका आगे का क्या विचार था। लेकिन वीडियो में उसका चेहरा और बॉडी लैंग्वेज देखकर साफ लगता है कि वह पूरी तरह तैयार और बेहद रिलैक्स्ड था।

जांच एजेंसियों के लिए यह वीडियो क्यों महत्वपूर्ण?

यह वीडियो सिर्फ एक रिकॉर्डिंग नहीं बल्कि आतंकी सोच और मनोविज्ञान को समझने के लिए एक अहम सबूत है। वैज्ञानिक और जांच टीम इसे एक डॉक्यूमेंट की तरह स्टडी कर रहे हैं ताकि यह समझा जा सके कि उमर धीरे-धीरे किस दिशा में बढ़ रहा था और कैसे वह इस खतरनाक मानसिकता तक पहुंचा। वीडियो का लहजा, शब्दों का चुनाव और उसका व्यवहार ये सब बताता है कि वह लंबे समय से कट्टर सोच की तरफ झुक चुका था।

धमाके से हिल गई थी दिल्ली

धमाका लाल किला मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर 1 के बाहर हुआ था जब कार में बैठे एक शख्स ने खुद को उड़ा लिया। धमाका इतना भीषण था कि आसपास का इलाका हिल गया और 15 लोगों की मौके पर मौत हो गई।

जांच के बाद DNA टेस्ट से यह पुष्टि हुई कि कार में बैठे व्यक्ति का शव वास्तव में मोहम्मद उमर नबी का ही था। धमाके में उसका शरीर चिथड़े-चिथड़े हो गया था।

की जा रही गहराई से जांच

पुलिस और एजेंसियां इस केस की गहराई से जांच कर रही हैं और अब तक दिल्ली, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में कई लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। फरीदाबाद में मिले 2900 किलो विस्फोटक से भी जुड़ा है उमर का लिंक

इस पूरे केस ने तब और तूल पकड़ा जब फरीदाबाद में एक गोदाम से लगभग 2900 किलो विस्फोटक बरामद हुआ। माना जा रहा है कि उमर इसी नेटवर्क का हिस्सा था। 9 नवंबर को फरीदाबाद में जब पुलिस ने छापेमारी की, उसी समय उमर गायब हो गया था। यही वह समय था जब इस मामले में कई गिरफ्तारियां हुईं।

कौन था डॉ. उमर?

उमर पुलवामा के कोइल गांव का रहने वाला था और अल फलाह यूनिवर्सिटी, फरीदाबाद में नौकरी करता था। हाल के महीनों में उसका व्यवहार अचानक बदलने लगा था। 30 अक्टूबर के बाद उसने विश्वविद्यालय जाना बंद कर दिया और फरीदाबाद व दिल्ली के बीच रहस्यमयी तरीके से घूमना शुरू कर दिया।

वह अक्सर सुनहरी मस्जिद और रामलीला मैदान के आसपास की मस्जिदों में ठहरता था। यह भी माना जा रहा है कि वह कई लोगों से संपर्क में था और किसी बड़ी साजिश का हिस्सा था।

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उत्तम नगर में ई-रिक्शा से सफर करना हुआ खतरनाक

पश्चिम दिल्ली के उत्तम नगर क्षेत्र में ई-रिक्शा से जुड़ी लूट और जबरन वसूली की घटनाओं में लगातार इज़ाफ़ा हो रहा है। दैनिक सफर करने वाले यात्री अब दहशत में हैं और मजबूरी में जोखिम उठाकर यात्रा कर रहे हैं।

E-rickshaw in Uttam Nagar Delhi
पश्चिम दिल्ली उत्तम नगर ई-रिक्शा (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar18 Nov 2025 02:42 PM
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स्थानीय लोगों के अनुसार कई ई-रिक्शा चालक उत्तम नगर पूर्व–पश्चिम से लेकर द्वारका मोड़ तक की पूरी दूरी की सवारी का दावा कर पहले ही पूरा किराया ले लेते हैं। लेकिन मंज़िल तक छोड़ने के बजाय वे यात्रियों को नवादा मेट्रो स्टेशन के आसपास आधे रास्ते में उतारकर आगे बढ़ने के लिए अतिरिक्त पैसा मांगने लगते हैं। विरोध करने पर चालक यात्रियों को धमकाते हैं और रिक्शे में बैठी कुछ कथित “सवारियाँ” जो वास्तव में उनके ही साथी बताए जा रहे हैं भी मिलकर दबाव बनाती हैं।

महिलाएँ, छात्र और बुज़ुर्ग सबसे ज्यादा परेशान

दैनिक यात्रियों का कहना है कि इस घटनाक्रम से सबसे अधिक प्रभावित महिलाएँ, छात्र, ऑफिस जाने वाले लोग और बुज़ुर्ग हैं। कई यात्रियों ने बताया कि धमकियों और बहसबाजी से बचने के लिए उन्हें मजबूरन अतिरिक्त पैसे देने पड़ते हैं।

स्थानीय लोगों ने जताई गहरी चिंता

क्षेत्र में बढ़ती इस तरह की घटनाओं को लोग गैंग-जैसी गतिविधि बताते हुए चिंता जता रहे हैं। उनका कहना है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो ई-रिक्शा से यात्रा करना पूरी तरह असुरक्षित हो जाएगा।

पुलिस व ट्रैफिक विभाग से कार्रवाई की मांग

स्थानीय निवासियों ने पुलिस और ट्रैफिक विभाग से कड़ी निगरानी, सख़्त चेकिंग और ऐसे चालकों पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है ताकि यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

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