प्रशांत किशोर ने हार को लेकर मीडिया को दिया बयान

पहली बार बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में उतरी जन सुराज पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। परिणाम आने के बाद पार्टी के संयोजक प्रशांत किशोर पहली बार मीडिया के सामने आए और प्रेस कांफ्रेंस में अपनी प्रतिक्रिया दी।

Prashant Kishor's press conference in Bihar
बिहार में प्रशांत किशोर का प्रेस कांफ्रेंस (चेतना मंच)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar29 Nov 2025 10:55 AM
bookmark

बता दे कि प्रशांत किशोर ने कहा कि उनकी कोशिशों में कुछ कमी रही, जिस वजह से जनता का विश्वास जीतने में सफलता नहीं मिली। उन्होंने स्पष्ट किया है कि जो कोशिश करने के लिए हम जुड़े थे, उसमें जनता का विश्वास नहीं जीत पाया। इसकी पूरी जिम्मेदारी मैं अपने ऊपर लेता हूं। उन्होंने बिहार छोड़ने के सवाल पर कहा कि मैं पीछे हटने वाला नहीं हूं। दोबारा दोगुने जोश से लड़ेंगे। ये जन सुराज और मेरी जिद है। हमने हिंदू-मुस्लिम की राजनीति नहीं की। बिहार को सुधारने की कोशिश जारी रहेगी। जब तक सुधार नहीं दूंगा, बिहार से नहीं जाऊंगा।

राजनीति बदलने में भूमिका

बता दें कि प्रशांत किशोर ने कहा कि उनके प्रयास ईमानदार थे, लेकिन सफलता नहीं मिली। उन्होंने यह भी माना कि सत्ता परिवर्तन तो नहीं कर पाए, लेकिन बिहार की राजनीति बदलने में उनकी भूमिका बनी है।

सरकार पर बड़ा आरोप

बता दें कि प्रशांत किशोर ने बिहार सरकार पर चुनाव में सरकारी तंत्र का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि चुनाव में आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं की सैलरी बढ़ाकर चुनावी फायदा उठाया गया। उन्होंने पलायन पर भी चिंता जताई और कहा कि अगर पलायन रुक जाए तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा।

एनडीए को सुझाव

बता दें कि प्रशांत किशोर ने जीतने वाली सरकार को अपने वादों को पूरा करने की सलाह दी और महिला रोजगार योजना का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य में करीब 1.5 करोड़ लोगों को लाभ दिया गया। उन्होंने भ्रष्टाचार मुक्त मंत्रिमंडल की भी मांग की। प्रशांत किशोर ने अंत में कहा कि जनता ने यदि भरोसा नहीं जताया, तो इसका पूरा जिम्मा उन्हें लेना चाहिए। उनका संदेश स्पष्ट था। हार के बावजूद उनका संघर्ष और बिहार सुधारने का संकल्प जारी रहेगा।

अगली खबर पढ़ें

दो दिनों में दूसरी बार दिल्ली दौरे ने बढ़ाई अटकलें

बिहार में एनडीए को मिले प्रचंड जनादेश के बाद नई सरकार के गठन को लेकर हलचल लगातार बढ़ती जा रही है। सोमवार देर रात भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की ओर से अचानक फोन आने के बाद जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह विशेष चार्टर विमान से दिल्ली रवाना हुए।

JDU-BJP meetings continue
जेडीयू नेता संजय झा और ललन सिंह (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar29 Nov 2025 01:24 PM
bookmark

बता दें कि सूत्रों के अनुसार, संजय झा और ललन सिंह की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित बीजेपी के शीर्ष नेताओं के साथ लगातार बातचीत हो रही है। यह दूसरी बार है जब दोनों नेता दो दिनों के भीतर दिल्ली पहुंचे हैं। 16 नवंबर को भी वे अमित शाह और अन्य नेताओं से मुलाकात कर पटना लौटे थे, लेकिन सोमवार देर रात अचानक बुलावे ने नई सरकार के स्वरूप को लेकर अटकलें तेज कर दी हैं।

पटना से दिल्ली तक तेज हुई राजनीतिक गतिविधियाँ

बता दें कि पटना में मुख्यमंत्री आवास पर भाजपा–जदयू नेताओं की मैराथन बैठकें जारी हैं। माना जा रहा है कि इस बार मंत्रिमंडल का गठन ‘6 विधायक = 1 मंत्री’ फार्मूले पर होगा। छोटे दलों—उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी—को भी उनके कम विधायकों के बावजूद एक-एक मंत्री पद मिलने की संभावना है। चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी (आर) के 19 विधायक हैं, इसलिए उन्हें तीन मंत्री पद मिल सकते हैं। साथ ही एक डिप्टी सीएम पद की मांग भी उठ रही है।

भाजपा बनी सबसे बड़ी पार्टी

बता दें कि 89 विधायकों के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है। ऐसे में उसे 15 मंत्री पद, विधानसभा अध्यक्ष और एक डिप्टी सीएम का पद मिलने की चर्चा है। वहीं जदयू के पास 85 विधायक हैं, जिसके आधार पर उसे मुख्यमंत्री सहित 14 मंत्री पद मिलने की संभावना है।

विधानसभा अध्यक्ष पद पर खींचतान

इस बार जदयू की ओर से विधानसभा अध्यक्ष पद की मांग की जा रही है। जदयू का तर्क है कि विधान परिषद में सभापति का पद पहले ही बीजेपी के पास है। लेकिन बीजेपी का दावा है कि सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते स्पीकर का पद उसे मिलना चाहिए।

गृह मंत्रालय को लेकर रस्साकशी

भाजपा इस बार गृह मंत्री पद पर नजर बनाए हुए है, जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले भी यह विभाग अपने पास रखते आए हैं। माना जा रहा है कि इस बार भी वे इसे छोड़ने के मूड में नहीं हैं।

20 नवंबर को होगा शपथ ग्रहण

गांधी मैदान में होने वाले शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियाँ जोरों पर हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत सभी एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्री समारोह में शामिल होंगे। सभी सहयोगी दलों के शीर्ष नेताओं को भी आमंत्रण भेजा जा चुका है।

विधानसभा भंग, 19 नवंबर को NDA बैठक

बता दें कि नीतीश कुमार ने सोमवार को अपनी सरकार की अंतिम कैबिनेट बैठक की और विधानसभा भंग करने का प्रस्ताव पारित कराया। 19 नवंबर को जदयू और बीजेपी विधायक दल की अलग-अलग बैठकें होंगी, जिसके बाद एनडीए के सभी विधायकों की बैठक में सर्वसम्मति से नेता चुना जाएगा। फिर मुख्यमंत्री राजभवन जाकर सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे। बिहार की नई सरकार के गठन की प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुँच चुकी है, लेकिन मंत्रिमंडल के स्वरूप, विधानसभा अध्यक्ष और डिप्टी सीएम पद को लेकर अभी भी माथापच्ची जारी है।

अगली खबर पढ़ें

बिहार की राजनीति में ओबीसी और अति पिछड़ी जातियों ने दिखाया वर्चस्व

बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों ने प्रदेश के राजनीतिक समीकरणों को पूरी तरह से पलट कर रख दिया है। इस बार के चुनाव परिणामों ने जातीय आधार पर राजनीति का नया परिदृश्य सामने लाया है, जिसमें सवर्ण, ओबीसी, दलित और मुस्लिम समुदायों के विधायकों की संख्या में उल्लेखनीय परिवर्तन देखने को मिला है।

Bihar Assembly Elections 20250
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar18 Nov 2025 04:24 PM
bookmark

बता दे कि इस बार के चुनाव में सवर्ण जातियों से जीतकर आए विधायकों की संख्या में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। 2020 में जहां 64 सवर्ण विधायक जीतकर आए थे, वहीं इस बार यह आंकड़ा बढ़कर 72 हो गया है। इसमें राजपूत, भूमिहार, ब्राह्मण और कायस्थ जैसे समुदाय प्रमुख हैं। भाजपा और जेडीयू जैसी प्रमुख पार्टियों ने भी सवर्ण वोट बैंक को सहेजने में सफलता हासिल की है।

ओबीसी एवं अतिपिछड़ी जातियों का वर्चस्व

बिहार की कुल 243 विधानसभा सीटों में से लगभग आधी, यानी 120 सीटों पर पिछड़ी जातियों और अतिपिछड़ी जातियों का वर्चस्व रहा है। ओबीसी और ईबीसी से 83 और 37 विधायक जीतकर आए हैं। कुशवाहा, कुर्मी, यादव और वैश्य जैसे समुदायों का प्रतिनिधित्व भी इस चुनाव में बढ़ा है। खास बात यह है कि कुशवाहा जाति से 7 विधायक, वैश्य से 11, कुर्मी से 2 और यादव से 4 विधायक चुने गए हैं। 

मुस्लिम विधायकों की संख्या में गिरावट

मुस्लिम समुदाय के विधायकों की संख्या इस बार अब तक के सबसे कम 11 पर आ पहुंची है। 2020 में 19 मुस्लिम विधायक चुने गए थे। इस बार AIMIM से 5, आरजेडी से 3, कांग्रेस से 2 और जेडीयू से 1 मुस्लिम विधायक जीतकर आए हैं। यह संख्या बिहार के मुस्लिम मतदाताओं के राजनीतिक प्रतिनिधित्व में गिरावट को दर्शाती है।

दलित और अनुसूचित जाति का स्थिर आंकड़ा

दलित समुदाय का प्रतिनिधित्व इस बार भी कायम रहा है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर 40 विधायक चुने गए हैं, जिनमें बीजेपी से 12 और जेडीयू से 14 विधायक हैं। पासवान और रविदास जैसे समुदायों के भी प्रतिनिधि इस बार विजेता रहे हैं।